शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

कछुआ और खरगोश की कहानी हिंदी में आधुनिक रूप से - kachwa aur khargosh ki kahani

इस पोस्ट में हम कछुआ और खरगोश की आधुनिक कहानी को हिंदी में जानेंगे| वैसे तो आप सबने इस कहानी को कई बार बचपन में सुना होगा पर एक बार फिर आप सब के यादों को आधुनिक कहानी के साथ revise कर देता हूँ|

बुधवार, 15 नवंबर 2017

अली बाबा चालीस चोर - हिंदी कहानी - Ali Baba 40 Chor Kahani in Hindi

किसी गांव में दो भाई रहते थे। एक का नाम मीरकासिम और दूसरे का नाम अली खान था, जो छोटा भाई था एवं लोग इसे अलीबाबा कहकर भी बुलाते थे। मीरकासिम बहुत ही धनवान था और अलीबाबा बहुत ही निर्धन था। अलीबाबा लकड़ी काटकर लाता था और उसे बेचकर अपना जीवन यापन करता था।

मंगलवार, 14 नवंबर 2017

फिर चुहिया की चुहिया - महात्मा और उनकी पुत्री की कहानी

एक बार एक महात्मा ने गंगा नदी में स्नानकर भगवान सूर्य नारायण की आराधना कर हाथ फैला रहा था। उसी समय एक गिध्द आकाश मार्ग से एक चुहिया में लेते जा रहे थे।

सोमवार, 13 नवंबर 2017

सोम शर्मा पितु कथा - एक भिखारी की कहानी हिंदी में

एक सोम शर्मा नाम का भिखारी था। वह प्रतिदिन भिक्षाटन कर अपना जीवन यापन करता था। उसे प्रतिदिन जो कुछ मिल जाता था उसी में उसे संतोष हो जाता था। वह खर्च कम करता त परंतु बचाता ज्यादा था।

रविवार, 12 नवंबर 2017

नंदनी गाय की कथा - हिंदी कहानी

एक राजा के चार लड़के थे। वह एक बड़ा सा तालाब खुदवाकर उनके किनारे पक्की सीढियां बनवा रहे थे। दिन में मजदूर एवं राजमिस्त्री तालाब किनारे बनाकर चला जाता था। सुबह होते ही तालाब किनारा टूटा हुआ मिलता था।

शनिवार, 11 नवंबर 2017

झूठा व्यक्ति - व्यपारी और उसका पड़ोसी - हिंदी कहानी

एक व्यपारी ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति था। उसका एक पड़ोसी था जो रोज भगवान से प्रतिदिन दस हजार से न एक काम और न एक ज्यादा की मांग करता था, और ज्यादा या कम होगा तो वापस कर देंगे।

शुक्रवार, 10 नवंबर 2017

एक बंदर और मगरमच्छ की कथा - हिंदी कहानी

एक बंदर नदी के किनारे एक आम के पेड़ पर रहता था। वह प्रतिदिन पेड़ से आम मौसम पर मीठा खाता था और अपने मित्र मगरमच्छ को भी खिलाता था। उसका मित्र मगरमच्छ उसे बहुत प्यार करता था।

गुरुवार, 9 नवंबर 2017

ब्यूटी और गुलाब की कथा - हिंदी कहानी

प्राचीन काल में एक सौदागर के तीन लड़कियाँ थी। सौदागर नाकुरी छोड़कर घर बैठे हुए थे। वह किसी दुसरे नॉकरी की तलाश में था।

बुधवार, 8 नवंबर 2017

विश्वस्नीय शेर - हिंदी कहानी - लघु कथा

अंडलोकल्स नाम का एक लड़का इंग्लैण्ड के राजा के यहां नॉकरी करता था। वह बहुत समय के बाद राजा के यहां नॉकरी छोड़कर भागते भागते रेगिस्तान होते हुए बहुत दूर एक जंगल में जा छिपा। जंगल में एक शेर आह भरता हुआ कहरता हुआ एक पैर उठाये चले आ रहा था। यह देखकर पहले तो एण्डलोकल्स डर गया, परंतु फिर उसने सोचा यहां से भागकर कहां जाया जाय। वो हिम्मत करके शेर के पास गया और उसके पैर में चुभा काँटा निकाल दिया और जड़ी बूटी का लेप भी लगा दिया।

विश्वस्नीय शेर - हिंदी कहानी - लघु कथा

इससे शेर को काफी राहत मिला और इस प्रकार दोनों में दोस्ती भी हो गयी। शेर उसे माँस लाकर देता रहता और इस प्रकार उसने काफी समय जंगल में बिताया। फिर उसने सोचा कि इस तरह का जीवन कब तक जीता रहूंगा। एक दिन शेर शिकार पर गया था कि एण्डलोकल्स वहाँ से भागकर पुनः रेगिस्तान होते हुए उसी राजा के राज्य होते हुए जा रहा था। किसी गुप्तचर ने उसे पकड़कर राजा के पास ले आया। राजा ने उसे कहा कि एक मात्र भाला देकर अपनी जान की रक्षा उस भूखे शेर से करेगा। उस खूंखार शेर के सामने एण्डलोकल्स को राजा के आदेश पर जाना पड़ा। चारों ओर राजदरबार लगा था। सभी देखने वाली जनता भी दंग रह गई कि आखिर भूखा शेर उसे क्यों नहीं खाया। शेर उसे देखकर छोड़ दिया। बाद में पता चला कि शेर के साथ उस लड़के की दोस्ती थी। जिनके कारण शेर उसे नहीं मारा।

इसका मतलब शेर भी इतना विश्वनीय होता है कि अपना खूंखार लक्षण छोड़कर दोस्ती का फर्ज निभाता है।

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विश्वस्नीय शेर - हिंदी कहानी - लघु कथा - समाप्त

रविवार, 5 नवंबर 2017

विश्वसहिंता की कथा - हिंदी कहानी

किसी गांव में एक पति-पत्नी रहते थे। वे एक नेवला पलता था। एक दिन पति काम करने बाहर चले गए थे और पत्नी शारदा अपने बेटे को पालना में सुलाकर पानी लेने किसी कुँए पर चली गई। नेवला पालना के आसपास घूम रहा था। संजोग से एक सर्प कहीं से आकर पालना के पास जा रहा था। यह देख नेवला साँप से लड़ाई कर उसे मार डाला। और बाहर दरवाजे पर अपनी मालकिन की वाट देखने लगा। शारदा जब पानी लेकर आई तो देखा कि नेवला दरवाजे पर इधर उधर घूम रहा है और उसके मुंह पर खून लगा है। यह देखते ही शारदा ने सोचा की मेरे पुत्र को मार डाला। यह सोच उसने पानी का घड़ा नेवले पर पटक दिया। नेवला वहीं पर मर गया। जब शारदा ने घर में प्रवेश किया तो देखा की उसका पुत्र पालना पर खेल रहा है और वहीं पर साँप मरा पड़ा है।
यह देखकर शारदा को बहुत दुःख हुआ और रोने लगी।

शिक्षा: बिना सोचे समझे कोई काम उतावला होकर नहीं करना चाहिए।

विश्वसहिंता की कथा - समाप्त

गुरुवार, 2 नवंबर 2017

लकड़ी का घोड़ा - हिंदी कहानी

एक बार बहुत वर्ष पहले जर्मनी और फ्रांस की राजधानी पेरिस में घमासान युद्ध चल रहा था। जर्मनी पेरिस पर करीब दस वर्षों से युद्ध चल रहा था। एक दिन जर्मनी के राजा ने पेरिस के राजा को गिफ्ट दिया कि उसने एक बड़ा सा लकड़ी का घोड़ा बनवाकर उसके राज्य में छोड़ दिया। और अपने सैनिकों को सुबह ही हवाई जहाज से वापस भेज रहे थे। परंतु लकड़ी के घोड़े के अंदर दो तीन सैनिकों को छोड़ रखे थे।

लकड़ी का घोड़ा

 यह किसी को भी जानकारी नहीं थी। यह दृश्य देखकर पेरिस के राजा एवं जनता में हर्ष की लहर छा गये और बोलने लगे जर्मनी वाले भाग गये। खूब हर्षोल्लास का वातावरण हो गया। इस तरह रात्रि का समय आ गया। घोड़े के अंदर के सैनिकों ने जब देखा की वातावरण शांत हो गया है तो घोड़े से सैनिक निकालकर दुर्ग का फाटक खोल दिए। जिससे जर्मनी के सैनिकों ने पुनः उनके देश मे आ धमके। और मार काट करना सुरु कर दिया। इस तरह से जर्मनी फ्रांस की राजधानी पेरिस पर कब्जा कर लिया। और वहाँ की रानी हेलनवाई को जनार्दस्ती जर्मनी लेकर चला गया। इस तरह जर्मनी ने फ्रांस पर अपना अधिकार जमा लिया और फ्रांस को जीतकर अपने देश मे मिला लिया।

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लकड़ी का घोड़ा - समाप्त
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रविवार, 22 अक्तूबर 2017

महाभारत की पूरी कहानी - शूरुआत - भाग 1

एक बार स्वर्ग लोक में सभा हो रही थी। जिसमें सभी देवतागण उपस्थित थे। उसी समय सभा के बीच में ब्रह्मा जी की पुत्री ब्रम्हा जी से कुछ कहने आये थे। उनकी पुत्री का संजोग से हवा की झोंक के कारण दुप्पटा निचे गिर गया। सभी देवताओं का सिर निचे झुक गया। परन्तु एक देवता का सिर नहीं झुका। बल्कि वह उनकी पुत्री को देखते ही रह गए। तब इसपर ब्रम्हा जी क्रोधित होकर अपनी पुत्री और उस देवता को श्राप दिया कि पृथ्वी लोक पर जन्म लेकर कस्ट भोगना पड़ेगा। उनकी पुत्री की गंगा बनकर आयी और वह देवता राजा शान्तनु बना। राजा शान्तनु गंगा से शादी करना चाहता था, परंतु गंगा ने शर्त रख दी मैं आपके यहाँ तब तक रहूंगी जब तक मेरे ऊपर अंकुश नहीं डालोगे। जिसदिन मेरी इच्छा के अनुसार मुझे काम नहीं करने दोगे उसी वक्त मैं तुम्हें छोड़कर चली जाउँगी। राजा शान्तनु ने शर्त मंजूर कर लिया।

महाभारत की पूरी कहानी - शूरुआत - भाग 1

राजा शान्तनु से गंगा को एक पुत्र प्राप्त हुआ। गंगा ने उसे गंगा नदी में डाल आयी। राजा इसपर कुछ नहीं बोला। पुनः दूसरा, तीसरा, चौथा, पांचवें, छठे, सातवें पुत्र को गंगा नदी में डाल आयी। परन्तु जब आठवें पुत्र को भी गंगा जब नदी में बहाने जा रही थी तो राजा शान्तनु ने इस बार रोक लिया। इसपर गंगा बोली कि शर्त के अनुसार मैं आपको छोड़कर जा रही हूँ, जहाँ तक इस बालक की बात है तो मैं इसे पाल पोसकर एवं सभी विद्या से निपुण करके आपके पास छोड़ जाउँगी।
गंगा ने ऐसा ही किया। एक दिन गंगा तट पर जब राजा शान्तनु टहल रहे थे, उसी समय गंगा अपने पुत्र देवव्रत को लेकर राजा शान्तनु के पास छोड़कर स्वयं लुप्त हो गयी।

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महाभारत की पूरी कहानी - शूरुआत - भाग 1
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गुरुवार, 5 अक्तूबर 2017

मूर्ख कौवा और लोमड़ी - हिंदी कहानी - लघु कथा

एक कौवा कहीं से एक रोटी का टुकड़ा पाया था और उसे वो पेर की डाली पर बैठकर कहा रहा था। उसी समय एक लोभी लोमड़ी  पेड़ के निचे आ धमका।  लोमड़ी ने सोचा कि किसी तरह से कौवा के चोंच से रोटी का टुकड़ा लेना है।
लोमड़ी ने कौवा की तारीफ करना सुरु कर दिया। उसने कौवा भाई से कहा , कौवा भाई मैंने सुना है कि आपकी मधुर वाणी सबको मोहित कर देती है। खासकर में आपकी मधुर वाणी सुनने को हमेशा ललायित रहता हूँ। कृप्याकर अपनी मधुरवानी सुनाने का कष्ट करेंगें।
कौवा अपनी तारीफ सुनकर बेहद प्रसन्न हुआ और मुह खोलकर जैसे ही क्वान क्वान का आवाज़ किया कि उसके मुंह से रोटी निचे गिर गई। लोमड़ी चतुराई से रोटी प्राप्त किया और वहाँ से भाग निकला। कौवा बेचारा पछताता रह गया।

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मूर्ख कौवा और लोमड़ी - हिंदी कहनी - लघु कथा
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गुरुवार, 28 सितंबर 2017

विधि और विधाता कहानी - लघु कथा

यह लघु कथा स्विट्ज़रलैंड की है। सेंट फ्रांसिस अपनी पत्नी के साथ स्विट्जरलैंड के किसी शहर में निवास कर रहे थे।
एक दिन की बात है , ठंड का मौसम था और सभी लोग अपने अपने घर मे छिप रहे थे। ठीक उसी समय सेंट फ्रांसिस की पत्नी ने खिड़की खोलकर बाहर झांकी तो उसने देखी की कोई दो प्राणी सरक पर जा रहे थे। मक्खियों उन दोनों पर भिभिना रही थी। कुछ शरारती बच्चे उन दोनों पर पत्थर फेक रहे थे। वे दोनों काफी परेशान थे। यह दृष्य उनकी पत्नी देखकर हैरान थी। तभी उन्होंने अपने पति को बुलाया और कहा उनदोनो के लिए कुछ करना चाहिए। तब सेंट फ्रांसिस ने उन दोनों को अपने घर बुलाया और काफी सम्मान और प्रतिष्ठा दिया। उन दोनों को खाने के लिए दूध , चावल, रोटी और रायता दिया। दोनों ने खूब खाया और दूध भी पिया। परंतु आश्चर्य की बात है कि खाने के बाद भी दूध, फल, रोटी इत्यादि परे हुए था। उन्होंने जब दोनों अथितियों से पूछा तो पता चला कि दोनों कोई साधारण प्राणी नहीं थे, वे विधि और विधाता थे। वे यहां भ्रमण करने आये थे। वे दोनों पति पत्नि के जोड़ों को आशीर्वाद देकर विलुप्त हो गए।

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विधि और विधाता कहानी - लघु कथा
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रविवार, 10 सितंबर 2017

युनान का सिकंदर - हिंदी कहानी

युनान का सिकंदर का दूसरा नाम अलेक्जांडर था। अलेक्जांडर का अर्थ होता है अति सुंदर। वो सम्पूर्ण विश्व पर अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहते थे। करिब करिब संसार के अधिकांश देशों पर अपना आदिपत्य कायम कर लिया था। अन्त में वो भारत पर भी चढ़ाई कर अपना अधिकार करना चाहते थे। उस समय हमारे देश में चन्द्रगुप्त मौर्य हमारे देश के मगध राज्य पर चाणक्य के सहयोग से राजा बने हुए थे। जिसने युनान के सिकंदर को ऐसा मजा चखाया की वह पुनः लौटकर अपने देश का मुँह तक नहीं देख पाए, बीच मे ही अपना दम तोड़ दिया। उसका विष्व विजय का स्वप्न, स्वप्न ही राह गया। उस समय हमारे भारत की जनता सुदृढ़ संकल्प एवं प्राण निओछावर कर देश की रक्षा करना अपना परम धर्म समझते थे।
भारत मे पूर्व के राजा पौरुष था, जिसने सिकंदर की सेना को झेलम नदी में मारकर मौत के घाट उतार दिये। पुनः भारत पर चढाई करने का अच्छा सबक मिल गया। यहां तक कि सालुक्स जो सिकन्दर महान के महामंत्री थे, जान बचाने के लिए अपनी बेटी हेलन का हाथ हमारे सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के हाथ सौंप दिए और अपने मुल्क वापस चले गये।
जब सिकन्दर महान विस्वविजेता इस दुनियां को छोड़कर जा रहे थे तो उसने कहा था कि मेरे दोनों हाथ खुला अस्थि से बाहर निकाल देना जिससे दुनिया के लोगों को शिक्षा मिले की इस पृथ्वी पर कितना ही बड़ा सम्राट क्यों न बन जाये, इस मरघट संसार से कुछ न लेकर जाना है। यहां से मात्र गुणशील मान, मर्यादा, प्रतिष्ठा और सम्मान ही लेकर जा सकते हैं।

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युनान का सिकन्दर - समाप्त
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सोमवार, 21 अगस्त 2017

दो तोते की कहानी और किस्सा

किसी जंगल में दो तोता रहते थे, वे बहुत ही आनंद पूर्वक जीवन यापन कर रहे थे।
परंतु एक दिन संयोग बस आंधी तूफान जोड़ों से चलने लगी, तोते का जोड़ी बिछड़ गया। एक बड़ा तोता महात्मा के यहां पलने लगा और दूसरा तोता एक डाकू के घर। दोनों तोते में अलग अलग गुण भरने लगे। महात्मा के घर तोते में परोपकारी गुण का समावेश होने लगा और डाकु के घर पलने वाला तोता काटो, मारो, पकड़ो, छीना-झपटी का गुण का समावेश होने लगा। इसलिए कहा गया है कि - जैसे का अन्न खाय उसका मन भी उसी तरह का हो जाता है, जैसा पानी पीयें वैसा ही वणी बन जाता है। यह तो सर्व व्यापी गुण है। वही गुण तोते में आ जाने से कोई सुख प्राप्त कर रहा है तो कोई दुख।

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समाप्त - दो तोते की कहानी और किस्सा
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- कहा गया है कि आत्मज्ञान से बढ़कर कोई दूसरा ज्ञान है ही नहीं। यह गुण सर्व सर्वदा मान्य है और रहेगा।
- प्रत्येक बच्चे में उसकी प्रतिभा छिपा रहता है जो आगे चलकर निखरता है और श्रेस्ठ दुनिया बनाता है।
- मनुष्य, मनुष्य से प्रेम नहीं करता ये सबसे बड़ा विसमता है, जबकि प्रकृति के अन्य सभी जीव जंतुओं में ऐसा नहीं देखा जाता है। उनसब में प्रायः सारभामिक प्रेम देखा जाता है।

मंगलवार, 1 अगस्त 2017

माहात्मा जी का तोता - हिंदी कहानी

प्राचीन काल मे किसी महात्मा ने एक तोता को पिंजरे में पलता था। वह तोता महात्मा जी से काफी गुण की बात सीख चुका था। महात्मा जी उसे काफी श्रद्धा से पालते थे और काफी गुणवान बना चुके थे।
परंतु एक दिन महात्मा जी ने सोचा कि मैंने जो पाठ पढ़ाया है उसे तोता सही में स्मरण किआ है या नही। या ओर यूं ही रट लिए हैं। एक न इसकी परीक्ष ली जाय। उसने एक शिकारी को बुलाकर कहा कि मैंने एक पाला है। जिसे गुणवान बनाकर जंगल मे छोड़ दिया है। जिसके कारण जंगल के अन्य तोते पर इसका प्रभाव परे।
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महात्मा जी का तोता

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शिकारी जब जंगल जाकर देखा तो सभी तोता एक ही रट लगा रहे थे, शिकारी आयेगा, जाल बिछाएगा, लोभ में फसाना नहीं। यह सुनकर शिकारी जंगल से लौट आता है और महात्मा जी से कहता है कि तोता तो पहले से ही रट लगा रहे हैं कि तोता आयेगा, जाल बिछएगा, लोभ में फसना नहीं। भला वो सब तोता जाल में कैसे फास सकते हैं।
इस बात पर महात्मा जी ने कहा कि क्या तुमने सचमुच जाल बिछाकर देखा था।? तो शिकारी ने कहा कि नहीं। इसपर महात्मा ने कहा कि ऐसा करके तो देखो। फिर शिकारी पुनः जंगल गया और जाल बिछाकर दाना डालकर देखा। तो धीरे धीरे बहुत से तोता यह बात रट भी रहा था और जाल के अन्दर आकर दाना चुग भी रहा था। इस तरह बहुत से तोता जाल में फास गये, जिसमें महात्मा जी का भी तोता था। जब शिकारी जाल लेकर महात्मा के पास आया तो तोता घबरा गया और सरमाया हुआ सा बैठ गया। इसपर महात्मा ने कहा, तोता रटने से कोई लाभ नहीं, जब तक कि उसे आत्मसात नहीं कर लेते।

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समाप्त - महात्मा जी का तोता - हिंदी कहानी

बुधवार, 12 जुलाई 2017

राजा दिलीप की कथा - नन्दनी गाय - हिंदी कहानी

राजा दिलीप का जन्म त्रेता युग में हुआ था। वह प्रजापालक, प्रजसेवक, तथा प्रजा की भलाई में दिनरात चिंतित रहा करते थे। परन्तु उसे अपने राज्य का उत्तराधिकारी यानि कोई संतान नहीं था।

शुक्रवार, 7 जुलाई 2017

अन्न का राजा (अन्न का महत्व) - हिंदी कहानी

एक बार की बात है की सभी अन्न मिलकर सभा का आयोजन किया। यह सभा देवताओं के राजा इंद्र की अद्यक्ष्यता में संपन्न होने वाली थी। यानि यह सभा इंद्र भगवान के इन्द्रलोक अर्थात इन्द्रशन में होने की बात थी। जिसकी व्यवस्था ब्रम्हा जी के उच्च स्थर पर किया था। सभा का समय संध्या छह बजे निश्चित किया गया था।

सोमवार, 3 जुलाई 2017

शेर और सियार की कहानी हिंदी में

शेर कई दिनों से भूखा था। भूख के कारन उसकी जान निकल रही थी। वह अपनी भूख मिटने के लिए नदी के किनारे बैठकर किसी न किसी जानवर का इंतज़ार कर रहा था। उसने सोचा की कोई न कोई जानवर अपनी प्यास मिटाने के लिए नदी के किनारे जरूर आयेगा और तब मैं उसे झपटकर उसे अपना भोजन बना लूँगा। इस तरह मैं अपनी भूख मिटा सकता हूँ। 

सियार और मगरमच्छ की कहानी हिंदी में

एक समय की बात है जब मगरमच्छ नदी में और सियार नदी के किनारे रहते थे। मगरमच्छ, सियार को अपना भोजन बनाना चाहता था। इस कारन मगरमच्छ अपना दाव पेच में लगा रहता था।

मुंडमाल (चुरावत जी राजपुताना और रानी हारा की कहानी)

चुरावत जी राजपुताना यानि राजस्थान राजघरानो के सुपुत्र थे। वह करकड़े जवान, आयु बीस वर्ष, रंग गोरे चित्ते, काफी साहसी, मुखमंडल पर हमेशा अजीब की खास लालिमा, देखने में लम्बे चोरे छाती, वादन फुर्तीला राजा के सम्पूर्ण गुणों से गुनी थे।

गुरुवार, 29 जून 2017

भारत का सामान्य शिक्षा दोषपूर्ण

हर माता पिता का स्वपन रहता है की हमारे बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करे, उच्च कोटि के दर्जा वाले नागरिक बने अच्छे से अच्छा पेशा अपनाएं जिससे की हमारे बच्चे सुख शांति से अपना जीवन यापन एवं अपने बच्चे का परवरिश अच्छी ढंग से कर सके। यह स्वपन पूरा होना अशंभव सा लगता है परन्तु यदि व्यक्ति प्रतिज्ञावद होकर या संकल्प कर कोई काम करना अशम्भ्व करता है तो अशंभव कार्य भी अवश्य कर पूर्ण हो जाता है। यह स्वपन माता-पिता का तभी पूर्ण हो सकता है जब वह अपने बच्चे का संस्कार बचपन से सही ढंग से बनाएं अर्थात अच्छे संस्कार से संस्कृत करे, अच्छा वातावरण एवं कुशल व्यव्हार, अच्छा गुण ये सब चरित्र निर्माण का प्रतिक है। माता-पिता अपने बच्चे को बड़ी तन्मयता एवं लगन के साथ कुछ आशा रखकर पढ़ाते हैं। बचचे भी मन लगाकर पढ़ते हैं, बी.अ , म. अ. , बी. टेक आदि  जैसे अच्छी डिग्री प्राप्त कर लेते हैं फिर भी विद्यर्थी को नौकरी के लिए भटकना ही पड़ता है। तो यह शिक्षा किस काम का यानि फलवती नहीं होता। विद्यर्थी अच्छे से अच्छे अंक प्रात्त कर भी घुमते रहते हैं। ऐसे शिक्षा का सबसे बड़ा कारन हैं की हमारी सामान्य शिक्षा ही दोषपूर्ण है अर्थात उन्हें जैसे शिक्षा' से शिक्षित किआ गया है वह बेकार और अटपटा लगता है। देश को जैसे शिक्षा की आवशकता है उसे वह प्राप्त नहीं करने के कारन भटकना पड़ता है। विदेश में यानि जापान, जर्मनी और रूस जैसे शिक्षा से हमारे देश को नहीं शिक्षित करने का कारन है पढाई के साथ साथ आर्थिक शिक्षा का भी कार्य करता है। ऐसे विदेशो में व्यवस्था है जिसके कारन विदेशी विद्यर्थी को पढने के बाद आर्थिक मामले में भटकना नहीं पड़ता। परन्तु अपने देश के विद्यर्थी के लिए पढकर बैठने के बाद उन्हें व्यवहारिक जीवन में मनो बंदर कूद के सामान जिंदगी बन जाता है। उसे ऐसा लगता है की को सा काम या रोजगार करके अपने एवं परिवार का रक्षण पोषण करे। उसे जीवन अंधकार सा लगता है, जिससे अपने जीवन को रसमय नहीं बना सकता है। इससे साफ़ प्रतिक होता है की भारत में शिक्षा में बदलाव होना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है, तभी हमारा देश विकषित देश बन सकता है। 

समाप्त - भारत का सामान्य शिक्षा दोषपूर्ण

बुधवार, 28 जून 2017

चेहरे का धोखा, आचार्य योगी राज अरविन्द के सुपुत्र आचार्य योगी राज हरिश्चंद्र जी की कहानी


आचार्य योगी राज अरविन्द के सुपुत्र आचार्य योगी राज हरिश्चंद्र जी थे। वह बी. ए. फाइनल क्लास के विद्यर्थी थे, देखने में काफी handsome  गोरे चित्ते एवं लम्बे छह फूट का जवान, पढाई में भी लगनशील एवं काफी मेहनती था। उन्होंने अपने जीवन में कभी भी second स्थान प्राप्त नहीं किआ था। कला कौशल में भी काफी प्रवीन, चित्रकारी तो इनके हाथ का जादू सा था। इनके मुखमंडल पर अजीब सी चमक चिंतनशील एवं अग्रसोची थे, विद्हता में सर्वगान्य अर्थात सज्जन व्यक्ति थे।

बुधवार, 14 जून 2017

दरिद्र नारायण - राजा और दरिद्र की कहानी हिंदी में

प्राचीन काल में प्रायः राजाओ का साशन होता था। कहने का मतलब हुआ की देश में राजतन्त्र का बोलबाला था। राजा प्रजा का पालनहार कहलाता था, मतलब की प्रजा को किस प्रकार स्वतंत्र या गुलामी में रखा जाए, यह सब राजा पर निर्भर करता था। राजा की प्रविर्ती, स्वभाव या व्यवहार पर ही प्रजा का जीवन व्यतीत होता था। अभी भी जहाँ राजतन्त्र चल रहा है वहां ऐसी ही स्तिथि रहता है। परन्तु अब बहुत ही कम ज़गह पर राजतन्त्र चल रहा है। राजतन्त्र में विसेश्कर प्रजा को सताया ही जाता था, परन्तु कुछ ही राजा ऐसा होते थे जो अपनी प्रजा को पुत्र के सामान मानती थी और पालन करती थी, मतलब हर प्रकार से अपनी प्रजा के सुख-शांति में ही अपना सुख, अपनी शांति, गरिमा एवम् शान वान तथा कल्याण समझता था।

रविवार, 11 जून 2017

पंच परमेश्वर कहानी की समीक्षा और सारांश - मुंशी प्रेमचंद प्रेमचंद द्वारा रचित


प्रस्तुत कहानी पंच परमेश्वर, मुंशी प्रेमचंद प्रेमचंद द्वारा रचित है जिसका हम सिर्फ सारांश और समीक्षा ही पढेंगे। 

शुक्रवार, 26 मई 2017

ज्ञान पर प्रेम का प्रभाव - भगवान कृष्ण, उद्धव, और गोपियाँ की कहानी संवाद


एक बार की बात है भगवान कृष्ण के परम मित्र उद्धव जी थे। उद्धव जी को अपने ज्ञान पर पूरा भरोसा था की प्रेम के गहरे प्रभाव को भी अपने ज्ञान रूपी अस्त्र से छिन्न बिन्न कर वास्तविक प्रेम को समव्प्त कर सकता हूँ। 
श्री कृष्ण और उद्धव गोपी संवाद
उद्धव गोपी संवाद

शनिवार, 14 जनवरी 2017

बाबा भारती, खड़गसिंह और उनका घोड़ा (Baba Bharti, Khadagsingh & His Horse)


बाबा भारती के पास एक बहुत सुन्दर घोड़ा था, जो बहुत तेज हवा के समान दौड़ता था। बाबा भारती जैसे किसान अपने लहलहाते खेत को देखकर हर्षित होता रहता है। वैसे ही बाबा भारती अपना घोड़ा देखकर खुश होते थे। इनके घोड़ा के गुण का बखान बहुत दूर दूर तक फैल चूके थे।

हनुमान और अर्जुन के बीच स्पर्धा - महाभारत का एक छोटा हिस्सा (हिंदी में)


एक बार हनुमान जी पुष्प वाटिका की रक्षा कर रहे थे। उसी वाटिका आर्गुन पांचाली के लिए पुष्प लेने के लिए प्रवेश करना चाहते हैं।

गज और भगवान कृष्ण की लघु कथा हिंदी में - Lord Krishna Small Story

गज महाराज भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त थे। भगवान कृष्ण पर गज महाराज का पूर्ण विश्वास था।

हिंदी किं वदत कहानी - भगवान शंकर और माता पार्वती की कहानी - Story in Hindi

एक बार की बात है, माँ पार्वती ने भगवान शंकर से कहती है कि आप दुनियां के हर प्राणियों की रक्षा करते हैं।

शुक्रवार, 13 जनवरी 2017

लालची बन्दर - हिंदी कहानी - Greedy Monkey - Hindi Story


दो बिल्लियाँ कहीं से ढेर सारे रोटियां लेकर आयी। दोनों बराबर बराबर रोटियां लेने के लिए आपस में लड़ रही थी।

गुरुवार, 12 जनवरी 2017

श्री गणेश जी की कथा - Story of Lord Ganesha - हिंदी कहानी


एक दिन की बात है, माँ पार्वती स्नान कर रही थी। आगे दरवाजे पर कार्तिक जी को बिठाकर निर्देश दिया गया था की जब तक मैं स्नान करके बहार नहीं आती हूँ तब तक के लिए बिच में कोई भी अन्दर न आने पाए। इतना आदेश करने पर भी भगवान शंकर को कार्तिक जी अन्दर आने पर मना नहीं कर पाए। शंकर भगवान कार्तिक जी को बार बार चकमा देकर प्रवेश कर जाते हैं। माँ पार्वती बोली स्वामी आप अन्दर कैसे प्रवेश कर पाए, जब की मेरा पुत्र दरवाजे पर तैनात था।