बुधवार, 28 जून 2017

चेहरे का धोखा, आचार्य योगी राज अरविन्द के सुपुत्र आचार्य योगी राज हरिश्चंद्र जी की कहानी


आचार्य योगी राज अरविन्द के सुपुत्र आचार्य योगी राज हरिश्चंद्र जी थे। वह बी. ए. फाइनल क्लास के विद्यर्थी थे, देखने में काफी handsome  गोरे चित्ते एवं लम्बे छह फूट का जवान, पढाई में भी लगनशील एवं काफी मेहनती था। उन्होंने अपने जीवन में कभी भी second स्थान प्राप्त नहीं किआ था। कला कौशल में भी काफी प्रवीन, चित्रकारी तो इनके हाथ का जादू सा था। इनके मुखमंडल पर अजीब सी चमक चिंतनशील एवं अग्रसोची थे, विद्हता में सर्वगान्य अर्थात सज्जन व्यक्ति थे।

देवगुण संपन्न देवदास की सुपुत्री पद्मा प्रभावती सर्वगुण संपन्न क्लास B. A. द्वित्य वर्ग की छात्रा थी। देखने में सुन्दरिओन की रानी लम्बे गर्दन, लम्बी काफी घने बाल, गोरे चित्ते वदन, नीली नीली आँखें, चेहरे पर अजीब सी चमक मानो अप्सराओं में से एक थी। विद्या और कला तो मानो माँ सरस्वती की देन थी।

"चेहरे का धोखा, आचार्य योगी राज अरविन्द के सुपुत्र आचार्य योगी राज हरिश्चंद्र जी की कहानी"

एक दिन की बात है जब पद्मा प्रभावती ग्रिस्माव्काश के समय दो पहर के वेला में स्नानकर अपने बालों को बाग़ में कुर्शी पर बैठकर सुखा रही थी और अस्चर्या भरे नज़र से कोयलों की मधुर कूक सुन रही थी। प्रकृति का वातावरण चीख चीख कर यही सन्देश दे रहा था की आज जैसे अतुल्य रमणीक दिन पुनः न आयेगा। ठीक उशी समय आचार्य योगी राज हरिश्चंद्र जी योगी वेश में सारंगी लिए उनके बाग़ के इर्द गिर्द या आजुवाजू से गाते हुए जिंदगी हैं चार दिन के दो जक कफ़न को काफी भाये और उनके मन मंदिर को झकझोर दिया। उनके जाने के बाद भी कई दिनों महीनो तक वो दृश्य उनके मानस पटल पर अश्मृति दिलाते रहते थे। वह बार बार उसी दृश्य में खो जाती थी और ऐशा लगता था की वही दृश्य को जीवन भर देखता रहूँ। 
संजोग वश ईश्वर की कृपा से वर्ष भी न बीता था की उन दोनों की सादी तय होकर संपन्न हो गया, परन्तु जब पद्मा प्रभावती अपना ससुराल गयी तो वहां भी वही दृश्य मानस पटल पर उभरती रहती थी, उन्हें मन नहीं लगता और मन चुब्द सा बनाये रहती थी। ऐशी स्थिति देखकर उनके पति योगी राज हरिश्चंद्र भी चिंतित रहने लगा। अपनी पत्नी की चिंता का कारन जानने का प्रयास करने लगे। अपनी पत्नी को खोये खोये सा देखकर वह भी उदासीन रहने लगा। 
संजोग वश एक दिन अपनी पत्नी पद्मा प्रभावती को बाग़ वाले माकन में घुमने ले गये। उस माकन की दीवारों पर अनेक चित्र एवं तस्वीर लटक रहे थे। परन्तु जैसे ही सारंगी लिए हाथों में योगी वेश में उन चित्र पर नज़र परते ही पद्मा प्रभावती बड़ी जोर से चौक गयी। यह देखकर योगी राज हरिश्चंद्र ने अपनी पत्नी पद्मा प्रभावती को काफी यकीन दिलाये के वह ही योगी वेश में सारंगी लिए हाथ में हैं। फिर भी उनकी पत्नी को पूर्ण रूप से  विश्वास नहीं हो रहा था की सही में वह चित्र भी उनके पति का ही है। 
अन्तोगत्वा, उस फोटो के बारे में उनके सारे परिवार यानि सास, ससुर, ननद ने यकीन दिलाया की वह चित्र किसी और का नहीं वल्कि उनके पति का ही है। तब उनकी पत्नी का संशय या दुविधा समाप्त हुआ। इसप्रकार दोनों के मधुर जीवन सुखमय से व्यतीत होने लगा। उनके जीवन में नया वशंत सा आ गया।


समाप्त - चेहरे का धोखा, आचार्य योगी राज अरविन्द के सुपुत्र आचार्य योगी राज हरिश्चंद्र जी की कहानी

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