शनिवार, 11 नवंबर 2017

झूठा व्यक्ति - व्यपारी और उसका पड़ोसी - हिंदी कहानी

एक व्यपारी ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति था। उसका एक पड़ोसी था जो रोज भगवान से प्रतिदिन दस हजार से न एक काम और न एक ज्यादा की मांग करता था, और ज्यादा या कम होगा तो वापस कर देंगे।
यह देख व्यापारी ने एक दिन उसके आंगन में दस हजार एक रुपये गद्दी में बांधकर फेंक दिए ताकी उसकी ईमानदारी जाँच सके। दो दिन बाद जब व्यापारी ने देखा की पड़ोसी ने पैसे तो वापस नहीं किए तो व्यापारी ने पड़ोसी से कहा कि तुम तो रोज भगवान से प्रार्थना करते थे कि तुम दस हजार से एक भी रुपये न ज्यादा और न कम लोगे, अगर ऐसा हुआ तो वापस लौटा दोगे। तो मैंने उस हज़ार रुपये तुम्हारी इमानदारी को जांचने के लिए तुम्हारे आंगन में गिरा दिया था। तो तुमने वापस क्यों नहीं किया।

झूठा व्यक्ति - व्यपारी और उसका पड़ोसी

इस प्रकार से बातें होते होते आगे बढ़ चली। यानी कचहरी में जज के सामने यह केस चली गयी। व्यापारी का पड़ोसी कचहरी नहीं जा रहा था। इसपर व्यापारी ने पूछा कि कचहरी क्यों नहीं जाता, इसपर व्यापारी का पड़ोसी ने कहा कि मेरे पास पहनने को शर्ट पैंट नहीं है। व्यापारी ने कहा चलो कचहरी मैं शर्ट पैंट देता हूँ। अब व्यापारी का पड़ोसी शर्ट पैंट पहनकर कचहरी पहुँचे। कचहरी में जज के सामने बहस होने लगा। बातें आगे बढ़ती गई। तब व्यापारी के पड़ोसी ने जज साहब से कहा, मैने जो पैंट शर्ट पहने हैं इसके बारे में भी व्यापारी कहेंगे कि यह शर्ट पैंट भी मैंने ही दिया है। इतना सुनते ही व्यापारी चिल्लाने लगा और कहने लगा कि ये बात झूठ नहीं हैं कि मैंने ही तो यह शर्ट पैंट पहनने को दिया है तभी तो तुम कचहरी आये हो। जज ने इन बातों पर यकीन कर फैसला व्यापारी के पड़ोसी की तरफ दे दी और व्यापारी को तीन महीने की सजा दे दी।
व्यापारी के पड़ोसी ने कहा कि भगवान जब दहिन होता है तो दोनों हाथों में लड्डू देता है। यानी लाभ ही लाभ होता है।

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झूठा व्यक्ति - व्यपारी और उसका पड़ोसी

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