रविवार, 10 सितंबर 2017

युनान का सिकंदर - हिंदी कहानी

युनान का सिकंदर का दूसरा नाम अलेक्जांडर था। अलेक्जांडर का अर्थ होता है अति सुंदर। वो सम्पूर्ण विश्व पर अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहते थे। करिब करिब संसार के अधिकांश देशों पर अपना आदिपत्य कायम कर लिया था। अन्त में वो भारत पर भी चढ़ाई कर अपना अधिकार करना चाहते थे। उस समय हमारे देश में चन्द्रगुप्त मौर्य हमारे देश के मगध राज्य पर चाणक्य के सहयोग से राजा बने हुए थे। जिसने युनान के सिकंदर को ऐसा मजा चखाया की वह पुनः लौटकर अपने देश का मुँह तक नहीं देख पाए, बीच मे ही अपना दम तोड़ दिया। उसका विष्व विजय का स्वप्न, स्वप्न ही राह गया। उस समय हमारे भारत की जनता सुदृढ़ संकल्प एवं प्राण निओछावर कर देश की रक्षा करना अपना परम धर्म समझते थे।
भारत मे पूर्व के राजा पौरुष था, जिसने सिकंदर की सेना को झेलम नदी में मारकर मौत के घाट उतार दिये। पुनः भारत पर चढाई करने का अच्छा सबक मिल गया। यहां तक कि सालुक्स जो सिकन्दर महान के महामंत्री थे, जान बचाने के लिए अपनी बेटी हेलन का हाथ हमारे सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के हाथ सौंप दिए और अपने मुल्क वापस चले गये।
जब सिकन्दर महान विस्वविजेता इस दुनियां को छोड़कर जा रहे थे तो उसने कहा था कि मेरे दोनों हाथ खुला अस्थि से बाहर निकाल देना जिससे दुनिया के लोगों को शिक्षा मिले की इस पृथ्वी पर कितना ही बड़ा सम्राट क्यों न बन जाये, इस मरघट संसार से कुछ न लेकर जाना है। यहां से मात्र गुणशील मान, मर्यादा, प्रतिष्ठा और सम्मान ही लेकर जा सकते हैं।

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युनान का सिकन्दर - समाप्त
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