इस पोस्ट में हम कछुआ और खरगोश की आधुनिक कहानी को हिंदी में जानेंगे| वैसे तो आप सबने इस कहानी को कई बार बचपन में सुना होगा पर एक बार फिर आप सब के यादों को आधुनिक कहानी के साथ revise कर देता हूँ|
एक बार की बात है, एक कछुआ और एक खरगोश में विवाद हुआ की कौन ज्यादा तेज़ दोड़ता है| इसलिए दोनों ने सोचा की क्यों न एक रेस करके इस बात की पुष्टि हो जाये की कौन जयादा तेज़ दोड़ सकता है| रेस को ध्यान में रखते हुए दोनों ने रेस के लिए रूट (route) तय किया| जैसे ही रेस शुरु हुआ, खरगोश काफी तेज़ दोड़ने लगा और कुछ देर तक ऐसे ही दोरता रहा| काफी दूर जाने पर खरगोश ने देखा की वो कछुआ से बहुत आगे है, और फिर सोचा क्यों न थोड़ी देर पेड़ की छाव में बैठा जाय और फिर रेस किया जाय| यह सोचकर खरगोश पेड़ की छाव में बैठ गया और काफी ठंडी हवा चलने के कारन उसे नींद आ गया| इस दौरान कछुआ धीरे धीरे चलते चलते खरगोश से आगे निकल गया रेस समाप्ति के रेखा के समीप पहुच गया|
फिर अचानक खरगोश की आँख खुली तो देखा की कछुआ रेस जीत चूका है|
इसपर खरगोश ने काफी सोचा और अपनी गलतियों पर विचार किया और फिर कुछ दिनों के बाद खरगोश ने कछुआ पुनः रेस के लिए आमंत्रित किया| इसपर कछुआ राजी हो गया| इस बार खरगोश बिना रुके start से end तक दोड़ता चला गया और काफी आशानी से रेश जीत गया|
अब कछुआ सोच में पड़ गया की अब क्या करूं, मैं कैसे खरगोश को रेश में हरा सकता हूँ? कुछ दिनों की सोच के बाद उसने प्लान बनाये और कछुआ को फिर से रेश के लिए चैलेंज किया और कहा की इस बार रेस का रूट (रास्ता) मैं तय करूंगा| इसपर कछुआ राज़ी हो गया| अगले दिन रेस start हुआ, और जैसा की खरगोश ने खुद से कमिटमेंट (वादा) किया था, वैसे ही दोड़ता रहा और तब तक नहीं रुका जब तक की राश्ते में नदी न आई| यह देखकर कछुआ सोचने लगा की अब क्या करूं, कैसे इस नदी को पार करूं? चूकी रेस की समाप्ति की लाइन नदी की दूसरी ओर थी| और कछुआ धीरे धीरे चलता हुआ नदी तक पंहुचा और नदी में तैरता हुआ नदी पार कर गया और रेस जीत गया|
इस बार खरगोश और कछुआ अपने अन्दर की सिमित छमता के बारे में जाना और एक दुसरे से दोस्ती कर ली, और धीरे धीरे दोनों काफी अच्छे दोस्त बन गये| और फिर एक बार दोनों ने सोचा की रेस कुछ और बढ़िया हो सकता था|
इसलिए दोनों ने एक बार और उसी नदी वाले ट्रैक पर रेस करने की सोची, परन्तु इस बार अकेले अकेले नहीं बल्कि एक टीम की तरह| दोनों के रेस शुरु किया और फिर क्या था, सुरुआत लाइन से खरगोश ने कछुआ को अपने पीठ पर बिठाकर नदी तक पंहुचा और नदी में कछुआ ने खरगोश को अपनी पीठ पर बिठाकर तैरता हुआ नदी पार कर ली| और नदी की दूसरी और पुनः खरगोश ने कछुआ को अपनी पीठ पर बिठाकर समाप्त रेखा तक पंहुचा|
और इस प्रकार दोनों में से न कोई जीता और न ही कोई हारा, और इस रेस के बाद दोनों पहले से ज्यदा सन्तुष्ट भी हुए|
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कछुआ और खरगोश की कहानी से शिक्षा
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ये बहुत ही प्रोत्साहन की बात है यदि आप काफी बुद्धिमान और तेज़ हैं, परन्तु यदि आप टीम के साथ मिलकर काम नहीं कर सकते तो आप सफलता की उस ऊचाई तक नहीं पहुच सकते जहाँ आप टीम के साथ मिलकर पहुचोगे|
१) तेजी से और सुसंगत हमेशा धीमी और स्थिर हरा देगा
२) अपनी दक्षताओं के लिए काम करें
३) एकत्रित संसाधन और एक टीम के रूप में काम करना हमेशा व्यक्तिगत कलाकारों को हरा देगा
४) बार बार असफल होने पर कभी हार नहीं मानना चाहये
५) प्रतिस्पर्धा स्थिति के खिलाफ होना चहिये न की प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ
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