बाबा भारती के पास एक बहुत सुन्दर घोड़ा था, जो बहुत तेज हवा के समान दौड़ता था। बाबा भारती जैसे किसान अपने लहलहाते खेत को देखकर हर्षित होता रहता है। वैसे ही बाबा भारती अपना घोड़ा देखकर खुश होते थे। इनके घोड़ा के गुण का बखान बहुत दूर दूर तक फैल चूके थे।
एक दिन खड़गसिंह डाकू घोड़ा को देखने के लिए बाबा भारती के पास आया। घोड़ा को देखा और कुछ दूर तक रेस भी किया और अंत में बाबा भारती से कहा की यह घोड़ा मुझे दे दो अन्यथा मै इसे जबरदस्ती लेकर ही जाऊंगा। बाबा भारती ने इसपर कुछ नहीं बोला मात्र अपनी चौकशी घोड़ा पर रखने लगा।
उस दिन से खड़गसिंह घोड़ा को अपने आँखों में बसा लिया था। आखिर वो दिन आ ही गया। खड़गसिंह एक अपाहिज का रूप धारण कर सड़क के किनारे कम्बल ओढ़कर बैठ गया था। बाबा भारती अपने घोड़ा को प्रति दिन दो मिल तक टहलाने ले जाया करता था। उस दिन भी बाबा भारती अपना घोड़ा को टहलाने निकाला था कि रस्ते में आने देखा कि एक अपाहिज कम्बल ओढ़कर कह रहा था कि कोई परोपकारी है जो मुझे करीब एक मील तक जाकर छोड़ सके। बाबा भारती ने सोचा यह घोड़ा किस दिन के लिए काम में आएगा। उसने अपाहिज को घोड़ा पर बिठाकर लगाम देकर खुद पैदल चलने लगा। कुछ दूर जाने पर अपाहिज ने घोड़ा को दौड़ा दिया। लगाम हाथ से छूटते ही अपाहिज ने कहा कि मै खड़गसिंह हूँ। आपका घोड़ा मुझे लेना था इसलिए इस प्रकार ले लिया। इसपर बाबा भारती ने कहा की जो बात कहकर मुझे ठगा है वो किसी और से मत कहना वरना दुनिया के लोग कभी अपाहिज पर विश्वास नहीं करेंगे। मेरा आपसे बस इतना ही आग्रह है।
डाकू खड़गसिंह को बाबा भारती की बात कानों में गूंजने लगा और बार बार यही सोचता रहा की सच में अपाहिज पर कोई भी विश्वास नहीं करेगा। अतः डाकू खड़गसिंह ने अपना निर्णय बदला और घोड़े को बाबा भारती के अस्तवल में बांध आए। सुबह होते ही जब बाबा भारती ने अपना घोड़ा देखा तो ख़ुशी से फूले नहीं समाए।
इसपर डाकू खड़गसिंह ने कहा कि आप हारकर भी जीत गये, और मैं जीतकर भी आपसे हार गया।End of Story: बाबा भारती,खड़गसिंह और उनका घोड़ा (Baba Bharti, Khadagsingh and his horse)
बुराई कितनी भी कोशिश करे पर सच्चाई की हमेशा जीत होती है
जवाब देंहटाएंAaj kal to bure insaan hi aage jate h,,,🙏
हटाएंRight
हटाएंAdbhut kahaniya bhaiya
जवाब देंहटाएंAchchhi bat h
जवाब देंहटाएंgood
जवाब देंहटाएंBachpan me ye kahaniya padhi thi 4thi class me.bachpan yaad aa gaya....
जवाब देंहटाएंBachpan me ye 4thi class me padhi thi..bachpan ke din yaad aagye..
जवाब देंहटाएंGalat khani hai
जवाब देंहटाएंवास्तविक जीवन में कभी-कभी प्रतीत होता है जैसे चारो तरफ खड़क सिंह ही भरे पड़े है जो मदद लेने के बाद धोखा देने में कतई संकोच ना करे | इसलिए अब किसी पराये के भले की सोचना मतलब खुद के लिए परेशानी मोल लेना |
जवाब देंहटाएंVery good
जवाब देंहटाएंकहानी यदि लिखना ही था तो कंटेंट तो कम से कम वही डाल दिया होता। तरोड़ मरोड़ कर इस प्रकार लिखी है कहानी कि इसकी मौलिकता का मटियामेट कर डाला। कहानी का ओरिजनल वर्शन यदि पढ़ना है तो सुदर्शन जी द्वारा लिखी गई "हार की जीत" शीर्षक की कहानी पढ़ो शब्दों की मार्मिकता का असली आनंद उस कहानी को पढ़ कर आएगा।
जवाब देंहटाएंThis is not the complete story. This is the summary of the story. The story very well describes the horse and the incident.
जवाब देंहटाएं😘😎
जवाब देंहटाएंAp ne story ko short kar di hai
जवाब देंहटाएंGoo
जवाब देंहटाएंGood
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