प्राचीन काल में सेठ धन्नामल किसी शहर में रहता था। उसका व्यपार बहुत बङे पैमाने पर चल रहा था। वह समुद्री मार्ग से व्यपार करता था। उसके पास एक शेरू नाम का कुत्ता था। जो बहुत ही चालक एवं देखने में तगङा था।
संयोग की बात है कि एक दिन समुद्री जाहाज से उनका माल व्यपार की द्रष्टि से आ रहा था और रास्ते में वह जाहाज डूब गया। इस कारण सेठ धन्नामल को व्यपार में काफी नुकसान सहना पङा। वह अपने दोस्त को पत्र लिखकर शेरू के गले में बांध दिया और उसे दोस्त के पास भेज दिया। उस पत्र में सेठ ने लिखा था कि जब तक मेैं आपका कर्ज नहीं चुकाउंगा तब तक शेरू को आप रख लें। शेरू उनके घर की रखवाली करने लगा।
एक रात की बात है, उनके दोस्त के घर चोर घुसकर बहुत सारे धन ले जाकर जंगल में कहीं गाङ दिया, और वहाँ से भाग गये। शेरू चोर के पीछे जाकर सारी बातों से अवगत हो गया था। सुवह होते ही शोरगुल होने लगा। तब शेरु उनके दोस्त की धोती खींचते हुए जंगल ले जाकर सारा धन वापस करा दिया। उनके दोस्त ने खुश होकर, शेरू के गले में पत्र बांधकर शेठ के पास वापस भेज दिया। सेठ धन्नामल ने बिना सोचे समझे शेरु पर लठी का प्रहार करने लगा और शेरु को जान से मार दिया। तब सेठ ने शेरु के गले में बंधे पत्र को पढ़ा और फूट-फूट कर रोने लगा और बहुत पछताया।
शिझा: - कोई भी काम जीवन में बिना सोचे समझे नहीं करना चाहिए।
End of Seth Dhannamal Story in Hindi Language
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