प्राचीन काल में एक सम्मृद्ध गाँव था। उस गाँँव में एक आठ वर्ष का भोला नाम का बालक रहता था।
एक रात की कहानी है कि भोला एक लालटेन को पुआल के ढे़र में छिपा कर रख दिया था। धीरे धीरे आग पुअाल में पकङ लिया पहले तो धुंआ हुआ और फिर आग की लपक तेज हो गयी। सब लोग आग बुझाने की कोशिश में लग गए। परन्तु भोला बार बार कह रहा था कि मेरे बेवी मून को बचाओ - 2। लोग उसके बात पर ध्यान नहीं दे रहे थे। तभी एक व्यक्ति ने भोला से पूछा कि तुम्हारा बेवी मून कहाँ है? भोला ने बताया कि मैं अपना बेबी मून को पुआल में छिपाकर रख दिया था। उसे बचाओ, उसे बचाओ।
अंत में एक व्यक्ति ने पुआल टालते हुए खोज किया कि उस बेबी मून के कारण ही आग लगी है। भोला इतना भोला था कि वह जानता ही नहीं था कि इस बेबी मून से आग लग जाएगी। किसी तरह से लोगों ने आग पर काबू पाया और आग बुक्षा दिया।
End of Bhola ki kahani in Hindi language
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