किसी जंगल में दो तोता रहते थे, वे बहुत ही आनंद पूर्वक जीवन यापन कर रहे थे।
परंतु एक दिन संयोग बस आंधी तूफान जोड़ों से चलने लगी, तोते का जोड़ी बिछड़ गया। एक बड़ा तोता महात्मा के यहां पलने लगा और दूसरा तोता एक डाकू के घर। दोनों तोते में अलग अलग गुण भरने लगे। महात्मा के घर तोते में परोपकारी गुण का समावेश होने लगा और डाकु के घर पलने वाला तोता काटो, मारो, पकड़ो, छीना-झपटी का गुण का समावेश होने लगा। इसलिए कहा गया है कि - जैसे का अन्न खाय उसका मन भी उसी तरह का हो जाता है, जैसा पानी पीयें वैसा ही वणी बन जाता है। यह तो सर्व व्यापी गुण है। वही गुण तोते में आ जाने से कोई सुख प्राप्त कर रहा है तो कोई दुख।
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समाप्त - दो तोते की कहानी और किस्सा
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- कहा गया है कि आत्मज्ञान से बढ़कर कोई दूसरा ज्ञान है ही नहीं। यह गुण सर्व सर्वदा मान्य है और रहेगा।
- प्रत्येक बच्चे में उसकी प्रतिभा छिपा रहता है जो आगे चलकर निखरता है और श्रेस्ठ दुनिया बनाता है।
- मनुष्य, मनुष्य से प्रेम नहीं करता ये सबसे बड़ा विसमता है, जबकि प्रकृति के अन्य सभी जीव जंतुओं में ऐसा नहीं देखा जाता है। उनसब में प्रायः सारभामिक प्रेम देखा जाता है।
परंतु एक दिन संयोग बस आंधी तूफान जोड़ों से चलने लगी, तोते का जोड़ी बिछड़ गया। एक बड़ा तोता महात्मा के यहां पलने लगा और दूसरा तोता एक डाकू के घर। दोनों तोते में अलग अलग गुण भरने लगे। महात्मा के घर तोते में परोपकारी गुण का समावेश होने लगा और डाकु के घर पलने वाला तोता काटो, मारो, पकड़ो, छीना-झपटी का गुण का समावेश होने लगा। इसलिए कहा गया है कि - जैसे का अन्न खाय उसका मन भी उसी तरह का हो जाता है, जैसा पानी पीयें वैसा ही वणी बन जाता है। यह तो सर्व व्यापी गुण है। वही गुण तोते में आ जाने से कोई सुख प्राप्त कर रहा है तो कोई दुख।
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समाप्त - दो तोते की कहानी और किस्सा
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- कहा गया है कि आत्मज्ञान से बढ़कर कोई दूसरा ज्ञान है ही नहीं। यह गुण सर्व सर्वदा मान्य है और रहेगा।
- प्रत्येक बच्चे में उसकी प्रतिभा छिपा रहता है जो आगे चलकर निखरता है और श्रेस्ठ दुनिया बनाता है।
- मनुष्य, मनुष्य से प्रेम नहीं करता ये सबसे बड़ा विसमता है, जबकि प्रकृति के अन्य सभी जीव जंतुओं में ऐसा नहीं देखा जाता है। उनसब में प्रायः सारभामिक प्रेम देखा जाता है।