शनिवार, 14 जनवरी 2017

हिंदी किं वदत कहानी - भगवान शंकर और माता पार्वती की कहानी - Story in Hindi

एक बार की बात है, माँ पार्वती ने भगवान शंकर से कहती है कि आप दुनियां के हर प्राणियों की रक्षा करते हैं।
धन, दौलत और मनचाहा वरदान भी देते हैं, यानि सभी का कल्याण भी करते हैं। स्वं बग्चल्ला भी पहनते हैं और अपना घर भी नहीं बनाते। कम से कम मेरे लिए तो महल बनवा दो। देखो महल बनवाने का तो सोने का बनवा दूंगा। परन्तु आप उसे भोग नहीं पाओगे। माता पार्वती के हट करने पर भगवान शंकर ने सोने का महल बनवा दिया। घर में प्रवेश हेतु पंडित जी को बुलाया गया। घर पूजन बरी धूम धाम से हुआ, परन्तु जब पंडित जी ने दक्षिणा माँगा तो शंकर भगवान ने कहा बोलो तुम्हें क्या चाहिए? कितना दक्षिणा दू? ब्राहमण बनकर रावण के पिता आये थे। उसने कहा आपसे क्या मांगू? बस मेरे बच्चे का मन खुश कर दीजिए। इस पर माँ पार्वती रावण को गोद में लेकर पूछने लगी, बोलो बेटा बोलो तुम्हें क्या चाहिए। बालक ने कहा माँ मैं जो मांगूंगा वो आप दे देंगे। माता पार्वती खुश होकर बोली - अवश्य। माँ पार्वती सोच रही थी की बालक खेलने की कोई चीज़ मांगेगे, परन्तु रावण बचपन से ही तेज था। रावण ने कहा मैया अगर आप मुझे कुछ देना चाहती हों, तो मुझे यह रावण की लंका ही दे दो। माँ पार्वती बोली और कुछ मांग लो, तो इस्पर रावण रोने लगा और बार बार इस बात को दुहराने लगा। अंत में भागवान शंकर ने कहा शर्त के अनुशार सोने की लंका दक्षिणा में देना ही होगा। 

समाप्त - Bhagwan Shankar aur Mata Parwati ki Kahani

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