एक राजा था । उसने
एक मुर्ख बन्दर पाल रखा था। एक दिन की बात है — राजा सो रहा था। बंदर राजा के ऊपर
पंखा झेल रहा था। गर्मी का दिन था । एक मक्खी राजा के नाक पर आकर बैठ जाती है।
भगाने पर भी भागती नहीं है। बंदर मक्खी को भगाने का लाख कोशिश किया। परन्तु मक्खी
भागकर फिर नाक पर बैठ जाती है। बन्दर गुस्साकर बाहर गया और एक बङा पत्थऱ
लाकर मक्खी के उपर दे मारा। मक्खी तो उङ
गई। परन्तु राजा के नाक पर काफी चोट आयी। राजा हाँय राम हाँय कर स्वर्ग सिधार गए।
इसलिए कहा जाता है कि मुर्खो से दोस्ती या अधिक घऩिष्टा नहीं करनी चाहिये। अन्यथा
काफी हानि उठानी पडती है।
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