एक राजा के चार लड़के थे। वह एक बड़ा सा तालाब खुदवाकर उनके किनारे पक्की सीढियां बनवा रहे थे। दिन में मजदूर एवं राजमिस्त्री तालाब किनारे बनाकर चला जाता था। सुबह होते ही तालाब किनारा टूटा हुआ मिलता था।
राजा को बहुत आस्चर्य हुआ कि आखिर ऐसा कौन कर जाता है। उसने अपने चारों लड़कों एवं सिपाही को तालाब की देखभाल के लिये तैनात कर दिया। लड़के एवं सिपाही रातभर जागकर देखता रहा। उन लोगों ने देखा कि आकाश मार्ग से एक गाय ठीक बारह बजे रात में उतरती और तालाब का एक किनारा बिगाड़ कर चली जाती।
इसी तरह तीसरी रात वे सभी पुनः गाय की पूंछ पकड़ने को तैयार थे। गाय ठीक बारह बजे रात में उतरी और जो लड़का पहले गया था उसने फिर से गाय की पूछ पकड़ ली और फिर सबने उसके पैर और फिर सबने उसके निचे के पैर क्रमशः पकड़ते चले गये। बीच रास्ते में उनमें से एक छोटे लड़के ने पूछा कि कल आपको कितना बड़ा लड्डू खाने को दिया था? तो इसका जबाब देने को जैसे ही सबसे ऊपर वाले लड़के ने अपना हाथ छोड़ा वैसे ही सब जमीन पर गिरकर मर गये।
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नंदनी गाय की कथा
राजा को बहुत आस्चर्य हुआ कि आखिर ऐसा कौन कर जाता है। उसने अपने चारों लड़कों एवं सिपाही को तालाब की देखभाल के लिये तैनात कर दिया। लड़के एवं सिपाही रातभर जागकर देखता रहा। उन लोगों ने देखा कि आकाश मार्ग से एक गाय ठीक बारह बजे रात में उतरती और तालाब का एक किनारा बिगाड़ कर चली जाती।
नंदनी गाय की कथा
एक रात वे सब छिपकर देखता रहा कि किस प्रकार गाय आती है? उस रात भी गाय आकाश से उतरी। उन सभी लोगों में से एक लड़के ने गाय की पूंछ पकड़ ली और वो गाय के साथ भगवान इंद्र के पास पहुंच गया। भगवान इंद्र उसका काफी आदर सत्कार कर वापस अगली रात गाय के साथ वापस भेज दिया।इसी तरह तीसरी रात वे सभी पुनः गाय की पूंछ पकड़ने को तैयार थे। गाय ठीक बारह बजे रात में उतरी और जो लड़का पहले गया था उसने फिर से गाय की पूछ पकड़ ली और फिर सबने उसके पैर और फिर सबने उसके निचे के पैर क्रमशः पकड़ते चले गये। बीच रास्ते में उनमें से एक छोटे लड़के ने पूछा कि कल आपको कितना बड़ा लड्डू खाने को दिया था? तो इसका जबाब देने को जैसे ही सबसे ऊपर वाले लड़के ने अपना हाथ छोड़ा वैसे ही सब जमीन पर गिरकर मर गये।
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नंदनी गाय की कथा
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