एक छोटा बालक भोला की माँ जिसे वह काकी कहकर पुकारता था और पिता जी को बचपन से ही काका कहा करते थे।
एक दिन की बात है उनकी माँ यानी काकी का निधन हो गया। छोटा बालक भोला को क्या मालूम कि काकी का निधन हो गया है। उस दिन से वह काफी उदास हो गया।
एक दिन भोला अपने दोस्त के साथ एक पतंग बनाया और उस पर काकी शब्द लिखकर डोरी के सहारे अाकाश में उङाना चाहा। ठीक उसी समय काका वहाँ पहुँचते हैं और गुस्से में पतंग फाङ दिया। जब वह पतंग पलट कर देखता हैं तो उसपर लिखा था काकी। भोला से पूछा कि यह कौन लिखा है? भोला ने कहा - मैं अपनी काकी को पतंग के सहारे आकाश से नीचे अपने आँगन में उतारूँगा। यह सुनकर काका के भी आँखो से आँसू छलक उठे और छोटा भोला को गले से लगा लिया।
That's all...
End or Patang (पतंग)
एक दिन की बात है उनकी माँ यानी काकी का निधन हो गया। छोटा बालक भोला को क्या मालूम कि काकी का निधन हो गया है। उस दिन से वह काफी उदास हो गया।
एक दिन भोला अपने दोस्त के साथ एक पतंग बनाया और उस पर काकी शब्द लिखकर डोरी के सहारे अाकाश में उङाना चाहा। ठीक उसी समय काका वहाँ पहुँचते हैं और गुस्से में पतंग फाङ दिया। जब वह पतंग पलट कर देखता हैं तो उसपर लिखा था काकी। भोला से पूछा कि यह कौन लिखा है? भोला ने कहा - मैं अपनी काकी को पतंग के सहारे आकाश से नीचे अपने आँगन में उतारूँगा। यह सुनकर काका के भी आँखो से आँसू छलक उठे और छोटा भोला को गले से लगा लिया।
That's all...
End or Patang (पतंग)
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