शनिवार, 3 दिसंबर 2016

एक चालाक लङका - A Clever Boy

किसी गाँव में एक लङका रहता था। वह अपने आप को चालाक समझता था।

एक दिन की बात है, वह बहुत सारे बकरियाँ पहाङ पर चराते थे,और पहाङ के निचे किसानों का खेत था। वह लङका किसानों को बेवकूफ बनाने के लिए जोर से हल्ला करता था कि भेङ आ गय़ा। बचाअो बचाओ, लोग अपना काम छोङकर उसके तरफ दौङ पङते थे और जब उस लङका के पास पहुँचते थे तो वह हँसने लगता था। सभी किसान बिगङ कर वापस आ जाते थे। इस तरह उसने तीन दिनों तक किया। लोग उसके पास पहुँचकर वापस आ जाते थे। 
एक दिन जंगली भेङ वास्तव में आ ही गया। वह लङका बहुत चिल्लाया, पर कोई वापस नहीं अाया। जंगली भेङ उस लङके को मारकर खा गया। बाद में पता चला कि वह लङका उस दिन वास्तव में सच कह रहा था। परन्तु लङके पर किसी ने भी विश्वास नहीं किया और भेंङ उस लङके को मारकर खा गया।

शिझा: - बिना मतलब के किसी को भी परेशान नहीं करना चाहिए, अन्यथा उसका हाल भी उस चालाक बनने वाले लङके के सामान हो सकता है।

समाप्त - एक चालाक लङका (A Clever Boy)

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