रविवार, 25 दिसंबर 2016

महाभारत - शुरुआत - हिन्दी कहानी - The Beginning - Mahabharat Kahani in Hindi


एक बार स्वर्गलोक में सभा हो रही थी। जिसमें सभी देवतागण उपस्थित थे। उसी समय सभा के बीच में ब्रम्हा की पुत्री ब्रह्मा जी से कुछ कहने आई थी।
उनकी पुत्री का संयोग से हवा के झोके के कारण दुप्पटा निचे गिर गया। सभी देवतागण का सर निचे झुक गया, परन्तु एक देवता का सर नहीं झुका, बल्कि वह उनकी पुत्री को देखते ही रह गये। तब इसपर ब्रम्हा जी क्रोधित होकर अपनी पुत्री और उस देवता को श्राप दिया के पृथिवीलोक में जन्म लेकर कास्ट भोगना होगा। उनकी पुत्री गंगा बनकर आई और वह देवता राजा शांतनु बना। राजा शांतनु गंगा से शादी रचाना चाहता था। परन्तु गंगा ने शर्त रखा की मैं आपके यहाँ तब तक रहूंगी जब तक की मेरे ऊपर अंकुश नहीं डालोगे। जिस दिन मेरी इच्छा के अनुसार काम नहीं करने दोगे, उसी वक़्त मैं आपको छोरकर चली जाउंगी। राजा शांतनु ने शर्त मंजूर कर लिया। राजा शांतनु से गंगा को एक पुत्र प्राप्त हुआ। गंगा ने उसे गंगा नदी में दाल आई। राजा उस वक़्त कुछ नहीं बोला। पुनः दूसरा, तीसरा, चोथा, पांचवा, छठा, और सातवा पुत्र को गंगा ने नदी में बहा दिया। परन्तु जब आठेवें पुत्र को गंगा नदी में बहाने चली तो राजा शांतनु ने रोक लिया। तो इसपर गंगा बोली कि, मैं अपने शर्त के अनुसार अभी से तुम्हें छोरकर जा रही हूँ। जहाँ तक इस बालक की बात हैं, तो मैं इसे पालपोसकर, और हर तरह से निपुण करके आपके पास पुनः भेज दूंगी। गंगा ने ऐसा ही किया। एक दिन गंगा तट पर जब राजा शांतनु टहल रहे थे उसी समय गंगा अपने पुत्र देवव्रत को लेकर शांतनु के पास छोरकर चली गयी।

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