रविवार, 10 अप्रैल 2016

Krishna Sudama Story in Hindi - कृष्ण-सुदामा की मित्रता


किसी वन में संदीपन नाम का ऋषि अपने आश्रम में शिषयो को शिक्षा दिया करते थे। उसके  आश्रम में कृष्ण और सुदामा भी शिक्षा पा रहे थे।

                       एक दिन की बात है। आकाश में काले – काले बादल घिर आए तो गुरू जी ने क्रषण और सुदामा को लकडी लाने जंगल भेजता है। गुरू जी की पत्नी ने सुदामा को खाने के लिए कुछ चबैना देती है । दोनो लकडी  लाने जंगल गए ।बहुत डुडने पर एक व्रक्ष की सुखी डाली मिला। क्रष्ण ने सुदामा  से कहा कि मैं पेङ पर चढकर सूखी लकङी काट कर नीचे गिराता हूँ। तुम उसे एकत्रित यानि करना। क्रष्ण जी पेङ पर चढकर लकङियाँ काटकर गिराने लगा। सुदामा बीच-बीच में चबैना खाते रहता। क्रष्ण जी ने सुदामा से पूछा तुम क्य़ा खाते हो ।सुदामा ने कहा- जाङे (ठंड) का मौसम के कारण हमारा दाँत खटखटा रहा है। इस पर क्रष्ण ने कुछ नहीं कहा। दोनो ने लकडियाँ का गट्ठर लाकर आश्रम में रख दिये। क्रष्ण और सुदामा की दोस्ती आश्रम से ही आरंभ हुआ था। दोनो की शिक्षा पुरी होने पर श्री क्रष्रण दवारका के राजा बने और सुदामा गरीब बारहम्ण के रूप  अपना जीवन यापन करने लगे।

           सुदामा गरीबी से जुझते हुए अपने परिवार के साथ जीवन यापन करने लगा। जब अपार गरीबी से तंग हो गया तो पत्नी के कहने पर  सुदामा द्रऴारकादीस यानि अपने बचपन का परम मित्र श्री क्रषण के पास पत्नी के दिए हुए उपहार तंडुल यानि चावल को काँख यानि हाथ में छिपाये हुए उसके दरवार में पहुँचा। द्रऴाऱ पर दरवान ने पूछा कि इधर काहाँ जाओगे। सदामा ने कहा मेरा बचपन का दोस्त श्री कृष्ण से मिलना चाहता हूँ। दो-तीन वार कहने पर जैसे ही श्री कृष्ण (दवारकापति) को खबर मिली-कि दौङते हुए आए औऱ सुदामा को गले से लगा लिया और सिंघासन पर बैठाकर उनके पैर  भगवान श्री कृष्ण इतने रोये कि आँश्रुपातसे धो डाले। रूखमणी को बहुत ही आश्चर्य हुआ कि आज कैसा मेहमान आ गया है। श्री कृष्ण ने अपनी भाभी के दिए हुए उपहार को माँगने लगा। सुदामा श्रम के मारे  पोटली छिपा रहे थे। फिर भी भगवान श्री कृष्ण ने छीन कर तंडल यानि चावल को इतने प्रेम पूवक खाये कि रूखमणी को अन्त में तीसरी मुट्ठी खाते समय हाथ पकडृ लेती है और कहने लगी बस कीजिए अपने लिए भी तो कुछ रख लें । बहुत आदर के साथ कई दिनों बाद उसे वापस भेजे। घर जाने पर अपनी पत्नी को रानी बनी बैठी पाये।


2 टिप्‍पणियां:

  1. इस दुनियां में अगर कोई दोस्ती की मिसाल पेश है तो वह श्री कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की है| अटूट प्रेम और भक्ति का प्रतिक है कृष्ण-सुदामा की दोस्ती!!

    https://www.hindishortstories.com

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