एक अमीर आदमी को दो पुत्र
थे। उस आदमी का नाम नागेश्वर था। वह अपने पुत्रों को बहुत प्यार करता था। इस लार
प्यार के कारण वे दोनों लङके जीवन में कोई काम नहीं सीखा।
वह अमीर आदमी कुछ समय बाद
स्वर्ग सिधार गए। अब वे दोनों भाई अच्छे अच्छे कपङे पहनकर घर छोङकर कुछ कमाने के
लिए बाहर निकलें। रास्ते में चलते
समय काम के लिए कई लोगों से पूछताछ करते हुए आगे बढ़ रहे थे। र्सवप्रथम एक कुम्हार
को चाक चलाते देखा। उनदोनों भाई ने उससे पूछा कि मुझे यहाँ काम मिल जाएगा। कुम्हार
ने कहा तुम दोनों भाई मिट्टी गुथना जानते हो। चाक ठीक से चलाना आता है। वे दोनों
साफ मना कर दिया और कहा कि हमें कोई काम नहीं आता है। इसपर कुम्हार ने कहा
तुम्हारे लायक हमारे पास कोई काम नहीं है, चलो आगे बढ़ो। दोनों भाई चलते चलते थककर
एक वृझ के निचे छाया में बैठ गए। ठंडी हवा चलने के कारण दोनों को नींद आ गई। पुनः
जागने पर एक बुढ़ा आदमी को पेङ के नीचे बैठा देखा। दोनों भाई ने बूढ़े बाबा से
पूछा, बाबा मुझे कोई काम मिल जाएगा। बुढ़ा आदमी उनके पहनावा देखकर सोचने लगा कि
लगता है कोई अमीर खानदान के बच्चे हैं। उसने कहा – हाँ चलो मेरे साथ खेत में काम
करना। दोनों भाई को खेत का हर काम सिखाया और उन दोनों के नाम से बैंक में पैसा जमा
करते गए।
एक दिन उन दोनों भाई से
बुढ़ा किसान ने कहा – तुम अपनी कमाई की रकम ले लो और अपने घर चले जाओ। दोनों भाई
के आँख से आँसू छलक निकले और कहा बाबा मैं कहाँ जाउँगा। आप अपने पास ही रख लो। आप
मेरे पापा समान हैं। उस किसान का अपना कोई नहीं था। बुढ़े किसान के आँखो से भी
आँसू निकल आए और अंत में कहा तुम दोनों कहीं नहीं जाओगे। मेरी सारी संपत्ती तुम
दोनों की है अब इसे संभालो।
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