एक बार की बात है, एक मेढकों का झुंड लकड़ियों पर से जा रहे थे| उनमे से दो गहरे गड्ढे में गिर गए| जबकि दूसरे सभी मेंढक गड्ढ़े के चारो ओर खड़े हो गए और देखने लगे की गड्ढा कितना गहरा था| यह देख सभी मेंढक उन दोनों से कहने लगे की अब उन दोनों के बचने के आशा नहीं है|
यह सुनकर दोनों मेढकों ने सबकी बातों पर ध्यान देना छोड़ दिया और गड्ढ़े से बाहर निकलने के लिए कूदने लगे| इसपर सभी मेढ़क दोनों को प्रोत्साहन देने के अलावा उनसे कहने लगे की उन्हें कोशिश करना छोड़ देना चाहिये, दोनों कभी भी इस गड्ढ़े से बाहर नहीं निकल पाएँगे|
यह सभी बातों को सुनकर दोनों में से एक मेढक ने हार मान लिए और निकलने की कोशिश करना छोड़ दिए और मर गया, जबकि दूसरा मेढ़क ने कोशिश करना नहीं छोड़ा और लगातार बाहर निकलने के लिए कूदता रहा और अंततः बाहर आ गया|
जब वह बाहर आया तो सबने उससे पुछा की क्या तुमने हमारी बातों को नहीं सुना? तो इसपर उस कहा की मैं थोड़ा कम सुनता हूँ, मुझे हमेशा यही लगता रहा की तुम सभी मुझे हमेशा प्रोत्साहित कर रहे थे|
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कहानी का सारांश
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छोटी सी बात कभी कभी दूसरों की जिंदगी में काफी प्रभावशाली हो सकती है| इसलिये हम सभी को बोलने से पहले कभी कभी उसका दूसरों की जिंदगी पर प्रभाव के बारे में भी सोचना चाहिए|
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End of the story - The Group of Frogs Short Story in Hindi
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