भगवान को स्मरण करने की महत्ता हमारे जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण उद्देश्य है। उनके नाम जप से लाभ और
उनकी महिमा हमारे जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। इस प्रश्न पर भगवन कृष्ण में गीता के उपदेश देते हुए निम्ण श्लोक कहे थे, जिनका अनुवाद मैं इस पोस्ट में स्पस्ट रूप से करूंगा।
उनकी महिमा हमारे जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। इस प्रश्न पर भगवन कृष्ण में गीता के उपदेश देते हुए निम्ण श्लोक कहे थे, जिनका अनुवाद मैं इस पोस्ट में स्पस्ट रूप से करूंगा।
अभ्यासयोगयुक्तेन चेतसा नान्यगामिना lपरमं पुरुषं दिव्यं याति पार्थानुचिन्तयन् ll8ll
ऊपर लिखे गए श्लोक का अर्थ एवं तात्पर्य भगवान कृष्ण इस प्रकार कर रहे हैं :
हे पार्थ ! जो व्यक्ति अपने मन को मेरा स्मरण करने में निरंतर लगाए रखकर अविचलित भाव से भगवान के रूप में मेरा ध्यान करता है, वह मुझको अवश्य ही प्राप्त होता है।
इस श्लोक में भगवान कृष्ण अपने स्मरण किए जाने की महत्ता पर बल देते हैं। महामंत्र हरे कृष्णा का जाप करने से कृष्ण की स्मृति आ जाती है। भगवान के सब्दोच्चार और ध्वनि के जाप तथा श्रवण के अभ्यास से मनुष्य के कान, जीभ तथा मन व्यस्त रहते हैं। इस ध्यान का अभ्यास सत्यंत सुगम है और इससे परमेश्वर को प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
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भगवान को स्मरण करने की महत्ता , महिमाऔर उनके नाम जप से लाभ
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भक्त हरे कृष्णा का जाप करके अपनी पूजा के लक्ष्य परमेश्वर का उनके किसी भी रूप नारायण, कृष्ण, राम आदि का निरंतर चिंतन क्र सकता है। ऐसा करने से वह शुद्ध हो जाता है और निरंतर जाप करते रहने से जीवन के अंत में वह भगवदधाम को जएगा। योग अंतः करण परमात्मा का ध्यान है। इसी प्रकार हरे कृष्ण के जाप द्वारा मनुष्य अपने मन को परनेश्वर में स्थिर करता है। मन चंचल है अतः आवश्यक है की मन को बलपूर्वक कृष्ण चिंतन में लगाया जाय। यदि हम निरंतर कृष्ण का चिंतन करते रहे तो यह निश्चित है की हम जीवन के अंत में कृष्ण जैसा शरीर प्राप्त कर सके।
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समाप्त - भगवान के नाम जप से लाभ
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