किसी गाॅव में रघु नाम का एक ईमानदार किसान रहता था। वह अपना बुरा दिन आने के कारण अपनी पाँच कट्ठे जमीन खेदू के नाम बेच दिया। खेदू नाम का किसान कुछ दिनों के बाद उस जमीन पर हल चलाने गए। हल चलाते चलाते घंटो बीत गए। अंत में उसका हल एक जगह जमीन में किसी वर्तन से टकराकर रुक गया। खेदू ने अच्छी तरह देखा तो एक बङा बर्तन रूपया से भरा पाया।
खेदू नाम के किसान ने रघु के घर जाकर रूपये से भरे बर्तन देने गया। रघु ने कहा कि इसपर अब मेरा कोई अधिकार नहीं है। इसलिए कि मैंने तो अपनी जमीन बेच दी है। इसलिए अब यह सारा धन तुम्हारा है। इस तरह बात अागे बढ़ निकली। गॉव के मुखिया ने कहा कि यदि तुम दोनों को कोई आपत्ती ना हो तो इस धन से एक पाठशाला बनवा देते हैं। जिसमें गाँव के बच्चे पढ़कर ज्ञानवन एवं ईमानदार तथा समझदार बनेंगे। मुखिया ने एेसा ही काम किया जिससे पूरे समाज लाभान्वित हुए।
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