एक चालाक दरजी था। वह
प्रतिदिन एक हाथी को केला खिलाता था। एक
दिन हाथी दरजी की दुकान पर आया। दरजी ने उसे केला खिलाये। हाथी कहीं चला गया। यह
क्रम तीन दिनों तक चलाता रहा। चौथा दिन जब हाथी
उसके दुकान पर आया ।तो दरजी ने केला खिलाने के बदले सुई चुभो दिया। हाथी गुस्सा
के मारे एक नाला से गंदा पानी सुड में भर
कर उसके दुकान में कपङो पर छोङ दिया। सारें
किमती कपङे गंदा हो गए। दरजी बहुत पचताये और अपने किये हुए कम्र् से शमिंदा अनुभव
किया।
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