किसी गांव में एक पति-पत्नी रहते थे। वे एक नेवला पलता था। एक दिन पति काम करने बाहर चले गए थे और पत्नी शारदा अपने बेटे को पालना में सुलाकर पानी लेने किसी कुँए पर चली गई। नेवला पालना के आसपास घूम रहा था। संजोग से एक सर्प कहीं से आकर पालना के पास जा रहा था। यह देख नेवला साँप से लड़ाई कर उसे मार डाला। और बाहर दरवाजे पर अपनी मालकिन की वाट देखने लगा। शारदा जब पानी लेकर आई तो देखा कि नेवला दरवाजे पर इधर उधर घूम रहा है और उसके मुंह पर खून लगा है। यह देखते ही शारदा ने सोचा की मेरे पुत्र को मार डाला। यह सोच उसने पानी का घड़ा नेवले पर पटक दिया। नेवला वहीं पर मर गया। जब शारदा ने घर में प्रवेश किया तो देखा की उसका पुत्र पालना पर खेल रहा है और वहीं पर साँप मरा पड़ा है।
यह देखकर शारदा को बहुत दुःख हुआ और रोने लगी।
शिक्षा: बिना सोचे समझे कोई काम उतावला होकर नहीं करना चाहिए।
विश्वसहिंता की कथा - समाप्त
यह देखकर शारदा को बहुत दुःख हुआ और रोने लगी।
शिक्षा: बिना सोचे समझे कोई काम उतावला होकर नहीं करना चाहिए।
विश्वसहिंता की कथा - समाप्त
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें