मंगलवार, 14 नवंबर 2017

फिर चुहिया की चुहिया - महात्मा और उनकी पुत्री की कहानी

एक बार एक महात्मा ने गंगा नदी में स्नानकर भगवान सूर्य नारायण की आराधना कर हाथ फैला रहा था। उसी समय एक गिध्द आकाश मार्ग से एक चुहिया में लेते जा रहे थे।

संयोगवस गिध्द के मुंह से चुहिया छूट कर महात्मा जी के हाथ में गिरा। महात्मा जी उसे भगवान का उपहार समझकर उसे अपने घर ले गया और उसने सोचा कि हो सकता है की इसे कोई बिल्ली खा जाये। इसलिए वह अपने तपोविद्या से उसे एक लड़की बना दिया और महात्मा जी ने सोचा कि अपनी लड़की का विवाह किसी बलवान देवता से करूँगा। यह सोचकर उसने अपनी लड़की की शादी भगवान सूर्य नारायण से कराना चाहा और अपनी लड़की को भगवान सूर्य नारायण के पास ले गए। और उनसे प्रार्थना किया कि हे देव आप संसार में सबसे बलशाली हैं इसलिए आप मेरी पुत्री से शादी कर लीजिए। 

फिर चुहिया की चुहिया - महात्मा और उनकी पुत्री की कहानी

इसपर भगवान सूर्य नारायण ने कहा महात्मन मुझसे ज्यादा शक्तिशाली बादल है। कृपया कर आप अपनी पुत्री का विवाह बादल से कराएं तो ज्यादा उत्तम होगा। महात्मा अपनी पुत्री को बादल के पास ले गया और कहा कि आप तो भगवान सूर्य नारायण से भी शक्तिशाली हैं, इसलिए कि आप सुर्य नारायण को भी ढक लेते हैं और उनका एक भी बस नहीं चलता। अतः आप मेरी पुत्री से विवाह कर लो। इसपर बादल ने कहा कि मुझसे ज्यादा शक्तिशाली तो पर्वत है जिससे मैं टकराकर चूर चूर हो जाता हूँ फिर महात्मा जी अपनी पुत्री को पर्वत के पास ले गये और पर्वत से विनती किया कि तुम बादल से भी अधिक बलशाली हो अतः मेरी पुत्री से शादी कर लो। इसपर पर्वत ने कहा मुझसे बलशाली तो चूहा है जो अन्दर ही अंदर मुझे खोकला कर देता है और मेरे पत्थर निचे लुढ़कने लगते हैं। महात्मा जी जब ऐसा दृष्य देखा तो उन्हें विश्वास हो गया की इसे चुहिया ही क्यों न बना दें। ऐसा सोचकर महात्मा जी पुनः अपने तपो बल से चुहिया बना दिया। और इस प्रकार चुहिया की शादी चूहा के साथ करा दिया। 

शिक्षा: ईश्वर के विधि का विधान कोई नहीं टाल सकता।
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फिर चुहिया की चुहिया - महात्मा और उनकी पुत्री की कहानी

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