एक समय की बात है जब मगरमच्छ नदी में और सियार नदी के किनारे रहते थे। मगरमच्छ, सियार को अपना भोजन बनाना चाहता था। इस कारन मगरमच्छ अपना दाव पेच में लगा रहता था।
तभी एक दिन मगरमच्छ जान बूझ कर मरनाशन जैसे स्तिथि बनाकर लेटा था और कौआ उनके आँख नोचकर खा रहा था। जिससे सियार समझे की मगरमच्छ मर गया है और जैसे ही सियार उसे देखने आयगा तो मौका देखकर झट से मगरमच्छ सियार को पकड़ लेगा और इस प्रकार सियार उनका भोजन बन जयेगा।
परन्तु जब सियार ने देखा की मगरमच्छ मरनाशन स्तिथि बनाकर नदी के किनारे लेटा है और कौआ आँख खोदकर कहा रहा है तो ऐसे स्तिथि देखकर सियार बोला की मैंने तो ऐसा सुना है की मगरमच्छ मरने के बाद भी उनकी पूछ हिलती रहती है। यह वाणी सुनकर मगरमच्छ अपना पूछ हिलाने लगा। यह देखकर सियार समझ गया की मगरमच्छ मुझे अपना भोजन बनाने के लिए ऐसा नाटक किआ। मगरमच्छ की बेवकूफी के कारन इस प्रकार सियार की जान बच गयी। और अंततः मगरमच्छ पछताते हुए पुनः पानी में चला गया। इस प्रकार सियार भविष्य में कभी भी मगरमच्छ के चाल में नहीं आया।
इसलिए कहा गया है की सियार सभी जानवरों में तेज बुद्धि वाला जानवर है।
समाप्त - सियार और मगरमच्छ की कहानी
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