रविवार, 10 अप्रैल 2016

कौमेडियन लघु कथा - Hindi Kahani


किसी गाँव में एक अवन्ति नाम का लङका रहता था। वह बचपन से ही तेज वुधिवाला लङका था। एक वार जब वह करीब तेरह वष का था। तो उलके गाँव में तीन व्य़ापारी रात में ठहरे थे। भोजन के पश्चात करीब नौ बजे आपस में बातचीत या विचार होने लगा।इसी क्रम में एक व्यापारी ने गाँव वाले से प्रश्न किया कि इस पृथ्वी की धूडी कहाँ हैं। यह प्रश्न सुन कर गाँव वाले ने सोचा कि इस पश्नका उत्तर अवन्ति ही दे सकता है। उन्हें जा बुलाओ। अवन्ति अपना गदहा पर बैठकर उन व्यापारियाँ के पास आया। उसने प्रश्न सुनते ही कहा कि पृथ्वी की धूरी मेरा गदहा के दाँहिने पैर के नीचे है। उससे एक इंच इधर न उधर है। विश्वास न हो तो माप कर देख लो। यह सुनकर व्यापारी आश्चर्यचकित रह गए।दूसरा व्य़ापारी ने प्रश्न किया कि आकाश में कितने तारे है।  अवन्ति ने इसका जवाब दिया कि जितने मेरे गदहा के शरीर पर बाल है। उससे एक न कम न ज्य़ादा है। विश्वास न हो तो गिन लो। यह सुनकर व्यापारी अस्तब्ध रह गए।तीसरा व्यापारी अपना दाढी दिखाते हुए कहा कि मेरे  दाढी में कितने बाल हैं।यह सुनकर अवन्ति ने जवाब दिया कि जितने मेरे गदहा के पूछ में बाल है। उससे एक न कम न ज्य़ादा हो सकता है। अन्यथा गिन लो। तीसरा व्यापारी भी हार मान गए। एक दिन एक व्यक्ति ने अवन्ति से कहा –मैं जब रात में सोया था,तो एक चुहा का बच्चा मेरा मुँह के द्वारा  पेट में चला गया क्या कँरू। अवन्ति ने जवाब दिया कि तुरन्त एक विल्ली को निगल जाओ। उसे खाकर विल्ली बाहर निकल जाएगी।

समाप्त


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